एमजी नरेगा: mgnrega state

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इस योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहा जाता था, जिसका नामकरण 2 अक्टूबर 2009 को पुनः महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम के रूप में किया गया| यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है|इस योजना से ग्रामीण परिवारों कीी क्रय शक्ति बढ़ेगी, सामाजिक समावेशन सुनिश्चित होगा तथा पंचायती राज संस्थान मजबूत बनेंगे|

•यह अधिनियम, राज्य सरकारों को "मनरेगा योजनाओं" को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है। चूंकि राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता देती हैं, उन्हें श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए भारी प्रोत्साहन दिया जाता है।हालांकि, बेरोजगारी भत्ते की राशि को निश्चित करना राज्य सरकार पर निर्भर है| प्रति परिवार 100 दिनों का रोजगार (या बेरोजगारी भत्ता) सक्षम और इच्छुक श्रमिकों को हर वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाना चाहिए।

मनरेगा जॉब कार्ड आवेदन करने की प्रक्रिया:-

•ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य, ग्राम पंचायत के पास एक तस्वीर के साथ अपना नाम, उम्र और पता जमा करते हैं। जांच के बाद पंचायत, घरों को पंजीकृत करता है और एक जॉब कार्ड प्रदान करता है। जॉब कार्ड में, पंजीकृत वयस्क सदस्य का ब्यौरा और उसकी फोटो शामिल होती है। एक पंजीकृत व्यक्ति, या तो पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप से (निरंतर काम के कम से कम चौदह दिनों के लिए) काम करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। आवेदन दैनिक बेरोजगारी भत्ता आवेदक को भुगतान किया जाएगा।

•इस अधिनियम के तहत पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी भी भेदभाव की अनुमति नहीं है। इसलिए, पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन भुगतान किया जाना चाहिए। सभी वयस्क रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मनरेगा yojna की प्रमुख उद्देश्य, लक्ष्य और विशेषताएं निम्नलिखित हैं|:-

•ग्रामीण भारत में रहने वाले गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना|

•रोजगार के अवसर देकर ग्रामीण निर्धनों की आजीविका में वृद्धि करना|

•ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन का उपयोग करना|

•पंचायती राज संस्थानों को मजबूत कर जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत बनाना|

•ग्राम पंचायत आवेदन का जांच के उपरांत परिवारों को पंजीकृत करती है, और जॉब कार्ड जारी करती है|

•इस योजना में कम से कम एक तिहाई लाभार्थी महिलाएं होनी चाहिए|

•मनरेगा के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों का सोशल ऑडिट अनिवार्य है|

•रोजगार 5 किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए अन्यथा अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान किया जाता है|

•महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 6 (1 ) के अनुसार केंद्र सरकार मजदूरी दर का निर्धारण कर सकती है|

•यदि आवेदन करने के उपरांत 15 दिनों के अंदर रोजगार प्रदान नहीं किया जाता है तो आवेदन कर्ता बेरोजगारी भत्ता पाने का अधिकारी होगा|और इस बेरोजगारी भत्ता का खर्च राज्य सरकार वहन करती है|

•सूखा प्रभावित जिलों के लोगों को अधिक से अधिक 150 दिनों का कार्य इस योजना में मिल सकता है|





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