नमामि गंगे योजना:namami gange yojana

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नमामि गंगे योजना केंद्र सरकार की एक योजना है जिसे 2014 में शुरू किया गया था| इस परियोजना का शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को साफ करने के उद्देश्य से किया गया था इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जाएगा|विश्व बैंक के द्वारा 300 करोड़ रुपए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए ऋण के रूप में मंजूरी दी गई है|

उद्देश्य:-

•गंगा नदी को स्वच्छ और संरक्षित रखना|

•गंगा नदी के मुख्य धारा पर उपस्थित ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधी महत्वपूर्ण स्थानों का विकास करना जिससे सभी स्थानों को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सके|

•जलीय जीवन एवं जंतुओं का संरक्षण करना और विभिन्न मंत्रालयों के साथ समन्वय स्थापित कर स्वच्छ गंगा कार्यक्रम को सुदृढ़ बनाना|

इस योजना की विशेषताएं:-

•यह एक केंद्र सरकार की योजना है इस योजना के तहत 8 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों, 47 कस्बों और 12 नदियों को इस योजना में शामिल किया गया है|

•गंगा नदी घाटी में 11 राज्य जिनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश ,राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली शामिल है|

•इस योजना को विश्व बैंक के द्वारा वित्त प्रदान किया जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी परियोजना के तहत वर्तमान में गंगा नदी के मुख प्रवाह वाले राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है|

•इस मिशन के दूसरे चरण के लिए जून 2020 में विश्व बैंक द्वारा 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सहयोग राशि भारत सरकार को मिला था| यह ऋण दिसंबर 2026 तक 5 वर्ष की अवधि के लिए होगा| इस चरण के आरंभ में की जाने वाली परियोजना में यमुना एवं काली नदियों जैसी सहायक नदियों की सफाई करने वाली परियोजनाएं भी शामिल है|

•भारतीय न्यास अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में स्वच्छ गंगा नदी की स्थापना की गई है इस निधि में दान करने वाले दान कर्ताओं को आयकर अधिनियम के तहत सौ परसेंट छूट के लिए पात्र घोषित किया गया है|

•शहरी स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थानों को इस परियोजना में शामिल कर उनकी भूमिका को चिन्हित किया गया है|

•घाट या नदी तंत्रों के नजदीक होने वाली गतिविधियों को तीन प्रकार में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रथम है -

आरंभिक अवधि की गतिविधि- इसमें नदी की सतह की सफाई की जाएगी ताकि नदी में ठोस अपशिष्ट जो तैरते हुए होते हैं| उनकी समस्या से निजात पाया जा सके और ग्रामीण नालियों के माध्यम से होने वाले ठोस और तरल प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रामीण स्वच्छता और शौचालयों का निर्माण किया जाएगा|

दूसरा - मध्यम अवधि की गतिविधि:-

•यह 5 वर्ष की समय सीमा में इस कार्य को पूरा किया जाएगा जिसमें गंगा नदी के तट पर 118 शहरी आवासीय क्षेत्रों में सीवरेज और संरचना को मजबूती प्रदान किया जाएगा और साथ ही विस्तारित भी किया जाएगा|

•नगरपालिका के सहयोग से जैवउपचार विधि, जल उपचार संयंत्र और अपशिष्ट जल के उपचार द्वारा प्रदूषण को रोकने की व्यवस्था की जाएगी|

•जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण और जल की गुणवत्ता में सुधार करते हुए इनकी निगरानी की जाएगी और औद्योगिक प्रदूषण का प्रबंधन किया जाएगा|

तृतीय-दीर्घ अवधि की गतिविधियां:-

•इसमें  इस बात पर विशेष बल दिया जाएगा कि जल उपयोग दक्षता में वृद्धि, सतही सिंचाई की दक्षता में वृद्धि और पारिस्थितिकी प्रवाह का निर्धारण किया जाएगा|


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